अमृतसर गोल्डन टेम्पल (golden temple )
पंजाब यहां की 75 प्रतिसत आबादी सीधे खेती पर निर्भर करती हे। यही वो पवित्र धरती हे जहा बोये जाने वाले बीज भगवान हे,और काटेजाने वाली फसल धर्म। सिख धर्म जो दुनिया का 5 माँ सबसे बड़ा धर्म हे उस में वैशाखी के दिन को नया साल मानते हे। उस दिन किशान की फसल अच्छी होने के तोर पर भारत पे मनाया जाता हे।
amrutsar goldan temple |
वैशाखी के दिन पंजाब में सभी श्रद्धालु अमृतसर गोल्डन टेम्पल जायेगे। यह अमृतसर पंजाब में शिखो की आध्यात्मिक राजधानी हे। सभी श्रद्धालु वैशाखी के दिन श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा पोहचते हे,जो शिख द्धर्म का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक स्थान। उतर ,दक्षिण ,पूर्व और पश्चिम के खुले हुए इसके द्वार यह बात बताते हे की जीवन के हर पहलु से जुड़े हुए लोगो का इस गुरुद्वारा में स्वागत हे। यह स्थान शिख धर्म का केंद्रीय स्थान हे।
इतिहास
इस गुरुद्वारे का इतिहास 16 वि सदी से शरू होता हे जब शिख धर्म के चौथे आध्यात्मिक गुरु गुरुरामदास जी ने अमृतसरोवर या पवित्र सरोवर की खुदाई का काम सरु किया था जिसके बीचोबीच हे हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा मुख्य दरबार की पहली इट रखी थी हजरत मियामीर ने जो उस दौर के मशहूर सूफी संत थे.
shree arjandev maharaj |
कंस्ट्रक्शन का काम 5 वे गुरु अरजनदेव की निगरानी में हुआ था और इस शहर का नाम इसी अमृत सरोवर के नाम पर रखा गया अमृतसर। सोने की परख के चमकता यह पवित्र दरबार ही वो जगह हे जहा शिखो के आदि ग्रन्थ यानि गुरुग्रंथ साहिब को 16 अगस्त 1604 को गद्दी पर स्थापित किया गया था।
गुरु रामदास लंगर
हरमंदिर साहिब गुरुद्वार के उत्तर द्वार के पास लाल इटो से दिखने वाली इमारत हे जो हे गुरु रामदास लंगर दुनिया की सबसे बड़ी फ्री कम्युनिटी किचन। यह लंगर करीब रोज एक लाख लोगो को खाना खिलाता हे। और एक साल में करीब 3.5 करोड़ लोगो को खाना खिलाती हे। लंगर की प्रथा शाहिब श्री गुरुनानक महाराज से सरु हुए हे।
वैशाखी के दिनों में पुरे पंजाब में मस्ती छाने लगती हे। उन दिनों में यह तक़रीबन 2 लाख से भी अधिक श्रद्धालु आते हे उसके खाने के लिए यह एक्स्ट्रा किचन का इंतजाम किया जाता हे। यह परोसने जाना वाला खाना सादा होता हे। यह की दाल बहुत ही प्रख्यात हे। श्री हरमंदिर शाहिब के दरबार में हर रोज 1800 से 2000 किलो तक दाल इस्तमाल होती हे। यह दाल लकड़ी की आग से बनाई जाती हे जो दाल को अलग ही बेहतर स्वाद देती हे।
Guru Ramdas Langar |
यह श्रद्धा का पवित्र स्थान हे इसलिए खाना बनने के बाद सबसे पहले गुरु को भोग लगाया जाता हे. उसके बाद लंगर में परोसा जाता हे। यह रोजाना बड़ी मात्रा में चाय भी बनाई जाती हे। यहां हर श्रद्धालु को कड़ा प्रसाद दिया जाता हे यह वो प्रसाद हे जो हर गुरुद्वारेमे दिया जाता हे. प्रसाद का त्यौहार वैशाखी से गहरा नाता दीखता हे। प्रसाद के लिए 750 किलो घी और 850 किलो आटा हे। यहां हजारो सेवादार रोजाना करीब 2 लाख रोटियां बेलते हे। 24 घंटे चल ने वाली इस किचन में एनर्जी की कोई कमी नहीं हे काम करता हे और उत्साह से प्रसाद लेता हे। यहाँ सब लोग पंगत में निचे बैठते हे यहां कोई आमिर नहीं कोई गरीब नहीं उपरवाले के लिए सब बराबर हे। यहाँ रोजाना 5000 किलो सब्जी काटी जाती हे वैशाखी के दिन 10000 किलो हो जाती हे। यह पुरे भक्ति भाव से खाना परोसा जाता हे और श्रद्धालु यहां आ कर सुकून सा महसूस करते हे।
यहां अमृतसर गोल्डन टेम्पल में लाखो की तादाब में भक्त आते हे यह गहरा आध्यात्मिक नाता ही तो हे जो हजारो शिखो को यह खींच लाता हे।
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