एडोल्फ हिटलर की बायोग्राफी (Adolf hitlar biography rise to power &world war)
1924 में अडोल्फ हिटलर ने नफरत से भरी एक किताब Mein kampf यानि मेरा संघर्ष लिखी।उसमे उसने अपनी पूरी राजनितिक जीवन गाथा का उल्लेख किया हे। जिसका एक पहलु में आपके सामने रख रहा हु।
Adelof Hitlar |
अडोल्फ हिटलर जन्म हुआ 20 April 1889 को आत्महत्या की 30 April 1945 को यह ऑस्ट्रियन जो अचानक कही से आया और जर्मनी पे कब्ज़ा करने में कामयाब कैसे रहा ?उसने नफरत और हिंसा के बीज कैसे बोए ?और हिटलर ने दुनिया को सर्वनाश की तरफ कैसे धकेला ? वो हिटलर फिनोमिना मुंकिन कैसे हुआ ? हिटलर अपनी किताब में लिखता हे पहला विश्वयुद्ध मेरे जीवन का अब तक का वो पहलु हे जिसे में कभी नहीं भुला पाउँगा। पहले विश्वयुद्ध के दौरान तमाम खूनखराबे देख कर बाकि सैनिको की तरह हिटलर को भी एहसास होता हे की इन्सान जिंदगी कितनी सस्ती हो सकती हे। हिटलर धीरे धीरे एक कट्टर राष्ट्रवादी बन जाता हे।
हिटलर की जीवन गाथा (The Mein Kampf)
Anti cimetism यानि यहुदियो से नफरत सदियों पुराणी चीज़ हे और इसकी कोई सिमा नहीं हे पुरे इतिहास में अपनी इस नियति से परेशान यहुदियो को चाहे वो गरीब हो या अमीर समय समय पर मुसीबत की घडियो में यहुदियो को बलि का बकरा बनाया गया था।
20 मि सदी की शरुआत में यहूदियों रशिया में सामूहिक हत्याओं और नरसंहार के शिकार बने। उनमे से बहोत से जो इस हत्याचार से बचकर जर्मनी में बस गए। बड़ा सवाल ये हे क्या खुद हिटलर के खून में यहूदी का खून था ?हिटलर के ग्रांडफाधर की पहचान अज्ञांत हे।
Aedolf Hitlar |
20 April 1989 एडोल्फ हिटलर का जन्म एक कैथोलिक परिवार में ऑस्ट्रेलिया में होता हे उसके पिता एक कस्टम अफसर हे जिसने अपनी उम्र से कई कम उम्र वाली लड़की से सादी की थी। हिटलर के बचपन के सरुआती सालो में परिवार को उनके पिता की सिमा पर बार बार तबादलों की वजह से नई जगह पर रहने जाना पड़ता था। हिटलर की माँ उसे बड़े लाड प्यार से पालती हे। हिटलर को अपने पिता से कोई शिकायत नहीं थी जो नियमो के पक्के थे और शराब पिते थे।
हिटलर की माँ जिसकी मौत केन्सर की वजह से 47साल में ही हो गयी वो अकेली ऐसी थी जिसने हिटलर ने सच में प्यार किया था। हिटलर अपनी आखरी घडियो में भी अपने बंकर में माँ तस्वीर साथ रखी थी। हिटलर के पिता हिटलर को एक सरकारी अधिकारी बनाना चाहते थे। हिटलर स्कूल में ज्यादा देर तक नहीं टिक शका अपने घमंड को वो एजुकेशन सिस्टम से ऊपर समझता था। 19 साल की उम्र में अपनी माँ के मौत के बाद वो जर्मनी के वियेना चला जाता हे। बचपन में उसे राजनीती में जाने का कोई इरादा नहीं था। वो बड़ा हो के पुरुषो के बने एक बोडिंग हाउस में रहता हे और टूरिस्ट के लिए पोस्टकार्ड कॉपी करके गुजारा करता था। जब 1914 में हिटलर 25 साल का हे तब युद्ध की घोषणा इस नाकाम हिटलर की जीवनगाथा बदल देगी।
हिटलर का राजनितिक कदम
पहले वो मिलेट्री सर्विस से बचने के लिए ऑस्ट्रेलिया से भागकर जर्मनी आया था जहा युद्ध की लहर पुरे यूरोप को खूनखराबे की तरफ ले जाती हे। हिटलर भी युद्ध में सिपाही की तरह लड़ा और युद्ध ने उसे बदल डाला। ३० साल की उम्र में हिटलर सेना में ही रहना चाहता था लेकिन वो अव्वल रहना चाहता था। हिटलर बहोत जोश से काम करता हे तभी उसका मकसत बिलकुल साफ था सर पर छत और दो रोटी और इसके लिए कुछ भी करने के लिए त्यार था। वो एक जासूस बन जाता हे.
aedolf hitlar |
उनके ऊपरी अधिकारी हिटलर के जोश से काम करने के तरीके को नोटिस करते हे इसके बाद हिटलर को एक मिशन दिया जाता हे जर्मन सैनिको में जोश और उत्साह भरना हिटलर का कमांडिग ऑफिसर नोट करता हे की हिटलर बोलने में भोत माहिर हे उसकी कट्टरपंथ और सोच सुनने वालो को जकड लेती हे और सभी उसकी तरह सोचने लगते हे सरु से ही हिटलर सुनने वालो में जोश भरना और उन्हें वो सुनाना जानता था जो वो सुनना चाहते हे।उसकी आखरी पुकार जो देश रेशल कंटामिनाशन से दूर रहेगा वही देश दुनिया पे राज करेगा। उस वक्त जितने वाले देश यानि फ़्रांस ,इंग्लैंड।, और यूनाइटेड स्टेट जर्मनी पर शांति की कड़ी शर्ते लागु करते हे इसके चलते सभी देशो में से जर्मनी को सबसे ज्यादा जुरमाना देना होगा जिस से जर्मनी की अर्थव्यवथा पर भरी असर पड़ा जो आगे चल क्र उसकी नाराजगी का कारण बना जर्मनी से उसकी 13 प्रतिशत जमीन और आबादी के 10े वे हिस्से को अलग किया जाता हे यही मसला आगे चल कर विश्वयुद्ध का कारन बना जर्मनी के लोग अपनी आखो से अपनी सबमरीन ,अपने एयरफोर्स तबाह होते देखते हे तब जर्मनी की सेना सिर्फ 1लाख सैनिक ही रह जाते हे तभी हिटलर को उसकी मर्जी के खिलाफ सेना की नौकरी से निकला जाता हे। हिटलर सभी के साथ मिल कर आवाज उठाता हे अब हिटलर राजनितिक रूप ले चूका होता हे। हिटलर की पहली सभा थी 1920 में और विषय था हम ऐंटीनेशनलिस्म क्यों हे ?इस के लिये हिटलर यहूदीयो को जिम्मेदार माना हिटलर राइटविंग ग्रुप को प्रेरित करता हे जो उसको लीडर बनाते हे। और उसके लिए कर खरीदते हे जो उसकी एहमियत का सबूत था हिटलर अपनी पार्टी का नाम बदलता हे और उसमे नेशनल और सोशलिज्म जैसे शब्द डालता हे उसका मकसत अपने दायरे को बढ़ाना था उसने नाम दिया नेशनल सोसियलिस्ट जर्मन वर्कर पार्टी। पार्टी की सदस्य्ता बढ़ने लगती हे धीरे धीरे 2000 से 20000 हो जाती हे। उसके बाद हिटलर के जीवन की राजनीती में कई उतर चढ़ाव आते हे। अपनी जोश से बोलने की कला से हिटलर अपनी पार्टी को बहुत आगे ले जाता हे। और सबसे बड़ा कट्टरवादी बनता हे जो दूसरे विश्वयुद्ध की पुकार थी। हिटलर की यहुदीओ को नफरत ही उसको इस पैगाम पे पोहचाती हे। इस नफरत ने ही पुरे जरमोनी को खूनखराबे में धकेला हे।
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